श्रीमान या प्रमुखमंत्री जी, आपको स्वागत है! इन साधारित मोहरों में से एक को आपके सामग्री संग्रह में शामिल करना एक गर्व का कार्य होगा। यह गोर्खा VI की अनन्य और दुर्लभ सिक्का है जो बंबई मिंट में बनाया गया है।
यह एक दुर्लभ मोहर है जिसे 1940 में समर्पित किया गया था। यह 2 एना का है, जो अंतर्राष्ट्रीय परामर्श मर्द से मिलता है। इस प्राचीन सिक्के को पश्चिमी गोल्डन (को-निकल) से बनाया गया है, जिसका मतलब है कि इसमें पार्श्वार्धि भूमिका होती है।
नाईन्थ श्रेणी में, यह मोहर आकर्षक स्थिरता से उद्भव होता है जो इसे एक प्रमुख संग्रहीय आइटम के रूप में अद्वितीय बनाती है। इसकी विशालता 29.33 मिलीमीटर है और इसका वजन 9.56 ग्राम है। इसका आकार और भार इसे आसानी से हर जगह रखने और प्रदर्शित करने के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
- उद्देश्य: इस अद्वितीय गोर्खा VI सिक्के को एक संग्रहीय आइटम में शामिल करने का अवसर व अभिशाप दोनों हो सकते हैं। इस कीमती सिक्के में लालन, अंतर्राष्ट्रीय परामर्श और चले हुए समय के एक रिसाव का संकेत होता है।
- प्रमुखता: यह मोहर इसके कार्यक्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ की तुलना में बहुत कम खपत करता है। यह चाहिए आपकी सोना में एक सुंदर जोड़ने, अच्छे लक्ष्य प्राप्त करने और आपके पोर्टफोलियो को महत्वपूर्ण वाक्यांश प्रदान करने के लिए।
- संपादक की सलाह: यह सिक्का महान संग्रहणीय मूल्य के अलावा विवरणी और इतिहासी दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह बेशक़ छापेदार भूरा रंग और और्या डिज़ाइन ने इसे और भी सराहा है।
इस गोर्खा VI की 2 एना की सिक्के को अपने संग्रह में शामिल करें और एक निर्मित इतिहास की जय प्राप्त करें! यह सबसे दर्शक प्रिय बॉम्बे मिंट द्वारा निर्मित एक दुर्लभ और प्रमुख सिक्का है, जो शुद्धता और अत्याधिक संतुलन के साथ खुदरा रिटेल मूल्य पर उपलब्ध है।
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